अक्सर क्यूं वे..,मुझे.. गलत समझते हैं.. जिन्हें हम..,अपना समझते हैं..। आरोप भी अक्सर, ऐसा लगाते हैं.. जिसे हम, कोसों दूर रखते हैं..। वो कोरे कागज, को लिपते.. पर दाग... हमीं पर लगते हैं..। गलतियां उनकी नहीं शायद.. हम उन्हें... ऐसे ही दिखते हैं..। अक्सर क्यूं वे.., मुझे.. गलत समझते हैं.. जिन्हें हम..,अपना समझते हैं..। जीवन मेरा दुखों भरा है.., पर शायद वह.. ,इसे सुख समझते हैं । भयबीत हो उठता ..जिस बात से मैं अक्सर वह.. , वहीं करते हैं ..। अक्सर क्यूं वे.., मुझे.. गलत समझते हैं.. जिन्हें हम..,अपना समझते हैं..। ©pt.विकास kumar शर्मा #Prem #viarl #story