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आलोकित मेरा पूरा तन मन ज्वर चढ़ा विजय का मेरे तन क

आलोकित मेरा पूरा तन मन
ज्वर चढ़ा विजय का मेरे तन
कर नाद सिंह सी अश्वो पर
आरूढ़ हुए कर विजय तिलक

प्रतिमा समक्ष ले आई मां
प्रभु का वंदन करले तनिक
फिर टनकारे भर जोर जोर से
कर सिंचित माटी का अंग अंग

जब चले तो दुश्मन घबराए
प्राणदान की इच्छा सम्मुख लाए
है तेजस्वी प्रतापी महान
वीरों के वीर राणा समान

हर हर का नारा गूंज उठे
महादेव का नाम था हर कण कण
जब तलवारे नंगी नाच रही
हर ओर दिखे बस लाल रुधिर

कर्तव्य परायणता से बंधे हुए
हर सैनिक का गौरव गूजे
इंद्र , गगन से खुश होकर
सुमन और अक्षत फेके

©Rahul Kumar सैनिक का गौरव

#fish
आलोकित मेरा पूरा तन मन
ज्वर चढ़ा विजय का मेरे तन
कर नाद सिंह सी अश्वो पर
आरूढ़ हुए कर विजय तिलक

प्रतिमा समक्ष ले आई मां
प्रभु का वंदन करले तनिक
फिर टनकारे भर जोर जोर से
कर सिंचित माटी का अंग अंग

जब चले तो दुश्मन घबराए
प्राणदान की इच्छा सम्मुख लाए
है तेजस्वी प्रतापी महान
वीरों के वीर राणा समान

हर हर का नारा गूंज उठे
महादेव का नाम था हर कण कण
जब तलवारे नंगी नाच रही
हर ओर दिखे बस लाल रुधिर

कर्तव्य परायणता से बंधे हुए
हर सैनिक का गौरव गूजे
इंद्र , गगन से खुश होकर
सुमन और अक्षत फेके

©Rahul Kumar सैनिक का गौरव

#fish
rahulkumar8753

Rahul Kumar

New Creator

सैनिक का गौरव #fish #Poetry