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कोहरे और अट्टहास करते तमाम नाउम्मीदी को लाँघ एक स

कोहरे और अट्टहास करते तमाम नाउम्मीदी को लाँघ 
एक सुबह तुम यूँ चुम जाना शीश
जैसे नदियाँ छू कर करती है चुम्बन साहिल पे पड़े शिलाओं से 
फिर करना प्रेम अपनी जुल्फों में ढक कर मुझे 
हाँ कुंठित चेतना जाग्रत हो कर जायेंगे विस्मित 
मगर तुम आना  क्षितिज के उस पार प्रिय
और बांहों में ले, 
कर जाना मुझ तुच्छ को अपने 
तेज से जगमग प्रेम प्रिय ।
वो सुबह होगी मेरे जीवन की प्रथम दिन प्रिय
वहाँ से शुरू हो तुममें विलय हो जाऊंगा प्रिय #dedicatedtosomeone 
#yqbaba
#yqdidi 
#restzone 
#kamil_kavi 
#komu
कोहरे और अट्टहास करते तमाम नाउम्मीदी को लाँघ 
एक सुबह तुम यूँ चुम जाना शीश
जैसे नदियाँ छू कर करती है चुम्बन साहिल पे पड़े शिलाओं से 
फिर करना प्रेम अपनी जुल्फों में ढक कर मुझे 
हाँ कुंठित चेतना जाग्रत हो कर जायेंगे विस्मित 
मगर तुम आना  क्षितिज के उस पार प्रिय
और बांहों में ले, 
कर जाना मुझ तुच्छ को अपने 
तेज से जगमग प्रेम प्रिय ।
वो सुबह होगी मेरे जीवन की प्रथम दिन प्रिय
वहाँ से शुरू हो तुममें विलय हो जाऊंगा प्रिय #dedicatedtosomeone 
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#komu
kunalkarn5063

Author kunal

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