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कितनी पी कैसे कटी रात मुझे होश नहीं... रात के साथ

कितनी पी कैसे कटी रात मुझे होश नहीं...
रात के साथ गई बात मुझे होश नहीं...
मुझको ये नहीं मालूम कि जाना है कहाँ...
थाम ले कोई मेरा हाथ मुझे होश नहीं...
जाने क्या टूटा है पैमाना कि दिल है मेरा...
बिख़रे-बिख़रे हैं ख़यालात मुझे होश नहीं...
आँसुओं और शराबों में गुज़र है अब तो...
मैंने कब देखी थी बरसात मुझे होश नहीं...

©Amita Maurya
  #Butterfly #deep words
amitamaurya1482

Amita Maurya

New Creator

#Butterfly #Deep words

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