अकेला आया हूँ, अकेला सफ़र करूंगा, चलती राहों में भी, सबकी कदर करूंगा..।। अगर हो भी गया मायुस, तो सब्र करूंगा, थोड़ा रूकूंगा, फिर चलना शुरू करूंगा..।। मुश्किलें हजार होंगी, सबको हसकर पार करूंगा, ठोकरें लगेंगी जमाने की, गिरकर भी उठता रहूंगा..।। हाँ अमावस की रात को, मैं पूनम हरबार करूंगा, जीवन के पतझड़ को, मैं बसंत बहार करूंगा..।। लाख करें कोई धोखा भले, मैं न फरेब करूंगा, इंसान हूँ, इंसानियत निभा, इंसान बना रहूंगा..।। ©शंकर दास #Life_experience #शंकरदास अकेला आया हूँ, अकेला सफ़र करूंगा, चलती राहों में भी, सबकी कदर करूंगा..।। अगर हो भी गया मायुस, तो सब्र करूंगा, थोड़ा रूकूंगा, फिर चलना शुरू करूंगा..।। मुश्किलें हजार होंगी, सबको हसकर पार करूंगा,