खामोश लहरों की तरह लौट जाना है अरे जाओ चली जाओ दूर जाना है रोज रोज कौन तुम्हे समझाये पागल दूर जाना तो इक बहाना है तुम्हे तो इक नया घर बसाना है ✍ अमितेश निषाद ( सुमित ) खामोश लहरों की तरह लौट जाना है अरे जाओ चली जाओ दूर जाना है रोज रोज कौन तुम्हे समझाये पागल दूर जाना तो इक बहाना है तुम्हे तो इक नया घर बसाना है ✍ अमितेश निषाद ( सुमित )