बाहर मेरे काम का कुछ नहीं, सो खिड़की से पर्दा हटाता नहीं हर शाम ख़ुद बन चिरागा जले, मै संध्या दीपक जलाता नहीं मेरे नाम से सब मुझें जानते पर, मै हूं कौन कोई बताता नहीं दर्पण मुझें रोज़ देता हैं धोखा, मेरे सामने मुझ को लाता नहीं कभी भ्रम कभी झूठ,माया कभी समझ को समझ में आता नहीं विराजित सभी के अन्तः में कान्हा मगर ख़ुद को सबपे जताता नहीं सभी ज्ञानी ध्यानी करे मूढ़ बातें कलयुग में मिलता विधाता नहीं यदि राम बन वो मिल न सके, तो मेरा ऐसे ईश्वर से नाता नहीं ©Deepak Sisodia #Ram🙏