Nojoto: Largest Storytelling Platform

सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज । अहं त्वा

सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं 
शरणं व्रज ।
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो 
मोक्षयिष्यामि मा शुचः ॥
{Bolo Ji Radhey Radhey}
भावार्थ :-संपूर्ण धर्मों को अर्थात 
संपूर्ण कर्तव्य कर्मों को मुझमें 
त्यागकर तू केवल एक मुझ
 सर्वशक्तिमान, सर्वाधार परमेश्वर 
की ही शरण (इसी अध्याय के 
श्लोक 62 की टिप्पणी में शरण 
का भाव देखना चाहिए।) में 
आ जा। मैं तुझे संपूर्ण पापों से 
मुक्त कर दूँगा, 
तू शोक मत कर ॥66॥

©N S Yadav GoldMine सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं 
शरणं व्रज ।
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो 
मोक्षयिष्यामि मा शुचः ॥
{Bolo Ji Radhey Radhey}
भावार्थ :-संपूर्ण धर्मों को अर्थात 
संपूर्ण कर्तव्य कर्मों को मुझमें 
त्यागकर तू केवल एक मुझ
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं 
शरणं व्रज ।
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो 
मोक्षयिष्यामि मा शुचः ॥
{Bolo Ji Radhey Radhey}
भावार्थ :-संपूर्ण धर्मों को अर्थात 
संपूर्ण कर्तव्य कर्मों को मुझमें 
त्यागकर तू केवल एक मुझ
 सर्वशक्तिमान, सर्वाधार परमेश्वर 
की ही शरण (इसी अध्याय के 
श्लोक 62 की टिप्पणी में शरण 
का भाव देखना चाहिए।) में 
आ जा। मैं तुझे संपूर्ण पापों से 
मुक्त कर दूँगा, 
तू शोक मत कर ॥66॥

©N S Yadav GoldMine सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं 
शरणं व्रज ।
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो 
मोक्षयिष्यामि मा शुचः ॥
{Bolo Ji Radhey Radhey}
भावार्थ :-संपूर्ण धर्मों को अर्थात 
संपूर्ण कर्तव्य कर्मों को मुझमें 
त्यागकर तू केवल एक मुझ