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चाँदनी रात में तेरा वो शफ्फाक बदन थोड़े से


   चाँदनी रात में 
तेरा वो शफ्फाक बदन
   थोड़े से खुले होठ के बीच से
झांकती सफ़ेद दन्तपंक्तियाँ
   गुलाबी साड़ियों में पीछे की ओर
गर्दन से छूती जुड़े में लगे 
   मोगरे की लड़ियाँ
मानो ,,, 
   चाँदनी से टक्कर ले रही हो

हां तुम्हारे कांपते हाथों को 
    उस दिन 
छूने की जुर्रत कर बैठा था
    थरथराये थे... तेरे लब
शायद ,,,
     कुछ कहना चाहते थे !
तुम अपने प्रेम को स्वीकार पाती
    मैंने अपनी बात रख दी थी !

मुझे विदेश में नौकरी मिल गई थी 
    मग़र तुम्हें अपना देश छोड़ना पसन्द नहीं था 
 और... वहीं से हमारे
  रिश्तों में एक अलग मोड़ आ गया था !

आज जब मैं वापस लौट रहा था
   तुम्हारी स्मृतियों ने मुझे घेर लिया
काश !
  तुमसे मिलने की कोई गुंजाइश हो पाती
काश... कि 
   एक बार फिर से मैं वहीं खड़ा होता
तुम्हें कभी न छोड़ कर न जाने के लिये❤️❤️❤️❤️❤️

©Koshal Verma
  tumhe kaise bula. sakta hai 

#meltingdown

   चाँदनी रात में 
तेरा वो शफ्फाक बदन
   थोड़े से खुले होठ के बीच से
झांकती सफ़ेद दन्तपंक्तियाँ
   गुलाबी साड़ियों में पीछे की ओर
गर्दन से छूती जुड़े में लगे 
   मोगरे की लड़ियाँ
मानो ,,, 
   चाँदनी से टक्कर ले रही हो

हां तुम्हारे कांपते हाथों को 
    उस दिन 
छूने की जुर्रत कर बैठा था
    थरथराये थे... तेरे लब
शायद ,,,
     कुछ कहना चाहते थे !
तुम अपने प्रेम को स्वीकार पाती
    मैंने अपनी बात रख दी थी !

मुझे विदेश में नौकरी मिल गई थी 
    मग़र तुम्हें अपना देश छोड़ना पसन्द नहीं था 
 और... वहीं से हमारे
  रिश्तों में एक अलग मोड़ आ गया था !

आज जब मैं वापस लौट रहा था
   तुम्हारी स्मृतियों ने मुझे घेर लिया
काश !
  तुमसे मिलने की कोई गुंजाइश हो पाती
काश... कि 
   एक बार फिर से मैं वहीं खड़ा होता
तुम्हें कभी न छोड़ कर न जाने के लिये❤️❤️❤️❤️❤️

©Koshal Verma
  tumhe kaise bula. sakta hai 

#meltingdown
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