मैं मुसाफ़िर.. चलता रहा.. ज़िन्दगी को.. गले लगाने.. बीच में.. तेरा इश्क़.. .. मार गया....... ना समझो तो केवल अल्फाज़ है। समझो तो है एक पूरी कहानी। कुछ ऐसे मेरे हालात रहें, कुछ ऐसे मेरे जज़्बात। अंजान 'इकराश़'