तेरे ख़्यालों में खो कर रह जाती हूँ। मैं कोई किताब होकर रह जाती हूँ। बन्द पलकों से तेरा दीदार करती हूँ! मैं तेरी मुस्कुराहटों से प्यार करती हूँ। जख़्मी एहसासों का इलाज़ करने ! मैं बस मरहम बन के रह जाती हूँ। ♥️ Challenge-896 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।