मुलाकात छोटी होगी मालूम हो, फिर भी आंखें नम क्यूं हो जाती है? मिलने की खुशी, बिछड़ने के ग़म के आगे कम क्यूं हो जाती है? यकीं हो कि मुस्कुराने का सिलसिला अब यूं ही चलता रहेगा हमेशा, पर यकीन होते होने पर भी सुकून-ए-ज़िदंगी कम क्यूं हो जाती है? Suwarna Singh ❤️