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ये आंखों की हसीं, सांसो की रूबाई है, ये शुष्क रातो

ये आंखों की हसीं, सांसो की रूबाई है,
ये शुष्क रातों की अकेली तन्हाई है।
मेरे हाथों को अपनी रूहों से चूमने वाली,
बता, तू न आई फिर तेरी याद क्यों आई है।

©Rishabh Singh
  लफ्ज़ ❤️

लफ्ज़ ❤️ #Shayari

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