प्रतीक्षा के फूल अक्सर लगते हैं कड़वे नीम से शजर रहते हैं इनके पात विहीन ना ही उपजाते हैं ये फल कोई ये सिर्फ उगलते हैं काँटे यादों के चखा जाते हैं एहसास चुभन का दिखा जाते हैं रंग घुटन का ले आते हैं चेहरे के आसमां में लाली ढ़लते सूर्य की सी सिलवटें आँखों में तुम्हारे बिखरे काजल जैसी उभार जाते हैं चित्र तुम्हारा घटते बढ़ते आधे पौने कभी-कभी पूरे चाँद सा भी और जहन में छोड़ जाते हैं अमिट नील गहरे प्रेम की.. प्रतीक्षा के ये फूल जो अक्सर लगते हैं कड़वे नीम से जीवित रखते हैं मुझे बहाकर स्मृतियों के मधुमेह का रस नयनों से इस आस में कि.. एक दिन तुम जरूर आओगे सदा के लिए! -KaushalAlmora #प्रतीक्षा #इंतज़ार #फूल #yqdidi #neem #जीवन #yqpoetry #yqquotes