आंसूओं को इतना सस्ता कैसे समझते हो इंसान, एक-एक बूंद कीमती है इन सांसों के ही समान, हर एक कतरे पर दिल टूटता रहता है मेरा तार-तार, हर एक पल नजर से गिरता दिखे बस तेरा ईमान! कौन से साथ की बात, ये कैसा है समीकरण आज, पसीजता रहता है खरोंचों से अब ये अंतर्मन अंजुमन। अनुशीर्षक आंसूओं को इतना सस्ता कैसे समझते हो इंसान, एक-एक बूंद कीमती है इन सांसों के ही समान, हर एक कतरे पर दिल टूटता रहता है मेरा तार-तार, हर एक पल नजर से गिरता दिखे बस तेरा ईमान! कौन से साथ की बात, ये कैसा है समीकरण आज, पसीजता रहता है खरोंचों से अब ये अंतर्मन अंजुमन।