होली दे जाती है अक्सर गुलाल की रंगत बेहिसाब यादें और तुम्हारी संगत.. देर रात तलक जब तुम जगकर बेलती हो लोई गुजिया के लिए और कहती हो मुझसे ढ़ाल दो ना इन्हें साँचे में उस हरे रंग की मशीन से इलाइची मावा का मसाला भरकर तो ढ़ल रहा होता हूँ मैं भी होकर नेह से लबालब तुम्हारे साँचों में.. जब किसी बहाने से बुलाकर मुझे छज्जे पर खड़ी होकर के तुम उड़ेलती हो मुझ पर गगरी से रंग तो खिल रहा होता हूँ मैं भी तुम्हारी हँसी के साथ-साथ तुम्हारे बेपाक ठहाकों में.. अपने रुखसारों से अबीर मेरे गालों पर छापकर फिर कहती हो जब तुम सिर गोद में रखकर सुना दो ना एक होली कि इक झपकी ले लूँ तो सुस्ता रहा होता हूँ मैं भी तुम्हारी थकन के ओट में तुम्हारी बंद आँखों में.. ©KaushalAlmora होली के रंग.. अजब गजब! #होली #रोजकाडोजwithkaushalalmora #yqdidi #365days365quotes #गुजिया #poetry #happyholi