एक शाम उन शहीदों के लिए जिनके कुछ है नाम और कुछ है गुमनाम हम यहाँ हिन्दू मुसलमान सिख ईसाई करते रहे , धर्म के नाम पर गली मोहल्ले बाँटते रहे, वो वहाँ सरहदों पर गोली बारूदों मे खुद को गुमाते रहे, ना जाने कितनी माओं के गोद उजड़ते रहे हम यहाँ हिन्दू मुसलमान सिख ईसाई करते रहे , हम यहाँ रिश्तों की खाई बनाते रहे, भाई भाई को खून की दुहाई देते रहे वो वहाँ सरहदों पर हम बेग़ैरों के लिये दफन होते रहे, ना जाने कितनों की मांग को सुनी करते चले गये हम यहाँ हिन्दू मुसलमान सिख ईसाई करते रहे , हमसे न सम्भाली गयी यहाँ माँ बेटियों की आबरू ना ये मेरी गुड़िया ना ये तेरी आसिफा यही कह कर दामन बचाते रहे वो वहाँ सरहदों पर हमारी लाज बचाते रहे ना जाने कितनी राखियों को इंतजार कराते रहे हम यहाँ हिन्दू मुसलमान सिख ईसाई करते रहे , यहाँ हम ये तेरा ये मेरा कर घरों को बांटने लगे जो नही था हमारा वो भी दोनों हाथों से बटोरने लगे वो वहां सरहदों पर इंच दर इंच जमीन हमारी करने मे लगे रहे , ना जाने कितनों घरों के दिये बुझते चले गए हम यहाँ हिन्दू मुसलमान सिख ईसाई करते रहे , कब चीखेगी हमारी आत्मा कब रगो मे उबाल आयेगा इंतजार हमें क्या कि हमारे घर भी मातम आयेगा अरे इतने भी बेग़ैरत ना बने हम आओ कुछ अपना भी धर्म और फर्ज निभा ले गले लगकर समझा दो अब बे-वतनों को भी "हिंदी है हम हिन्द ही हमारी इबादत है इससे न बढ़कर यहाँ कोई गीता ना कुरान है" #स्वतंत्र #nojoto #nojotohindi #independence #TST #unity #2liner #kavishala #poetry #books