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कहानियाँ और किस्से, (भाग -१) मई और जून के गर्मि

कहानियाँ  और किस्से, 
(भाग -१) 
मई और जून के गर्मियों से भरी छुट्टियों में जब  भी शाम होती थी। तो हम निकल जाते घर से बल्ले और गेंद को उठा कर, मुझे नही पता आपके यहाँ बल्ला कैसा होता है पर हमारे यहाँ तो बल्ले पर रेशम के धागे और फेवीकोल को लगाकर उसपर ट्यूब चढ़ा देते थे और रनर साइड वाले खिलाड़ी पर कपड़े धोने वाली पटुकुन्नीयाँ होती थी। ईंटो को कमर तक एक के उपर एक रख हम सिविल इंजीनीयर समझते थे। खुद को, मोहल्ले के हर घर की छत के चक्कर काटे थे हमने,ऐसे ही एक रोज तो हम हिट विकेट हुए थे, उसके इंनस्विंग जैसा गाना "क्या करते थे साजना तुम हमसे दूर रहके"पर,हमारी गेंद से फुटबॉल खेलती , कानों में हेडफोन लगाए वो और उसकी अदाओ पर मंत्रमुग्ध मैं, तभी नीचे से आवाज आई, रवि,गेंद मिली, मैंने कहा हाँ,उस दिन मेरी हालत उस मानव जैसी थी, जो जीवन के यथार्थ को खोजने इस धरा पर जन्म लेता है परंतु इस जग की मोह माया उसे स्वयं में लिप्त कर लेती है। मैं उसके पास गया और मैंने गेंद को वापस देने का इशारा किया, उसने गेंद को पैर मारते हुए मेरी और कर दिया गेंद पर उसके पैर की चोट मुझे ऐसी प्रतीत हो रही थी जैसे उसने मेरे उसके प्रति प्रेम जो कुछ वक्त पहले ही पनपा था का प्रतिकार किया हो, लेकिन हम प्रतिकार में भी प्रेम ढूंढने वाले थे और मैं उसका अब दीवाना हो चुका था। अब बस एक ही मिशन था। मोहल्ले और मेरे दिल में आयी, इस नई लड़की के  विषय में जानकारी जुटाने का....... 
.... #जलज राठौर #Love कहानियाँ  और किस्से, 
मई और जून के गर्मियों से भरी छुट्टियों में जब  भी शाम होती थी। तो हम निकल जाते बल्ले और गेंद को उठा कर, मुझे नही पता आपके यहाँ बल्ला कैसा होता है पर हमारे यहाँ तो बल्ले पर रेशम के धागे और फेवीकोल को लगाकर उसपर ट्यूब चढ़ा देते थे और रनर साइड वाले खिलाड़ी पर कपड़े धोने वाले पटुकुन्नीयाँ होती थी। ईंटो को कमर तक एक के उपर एक रख हम सिविल इंजीनीयर समझते थे। खुद को, मोहल्ले के हर घर की छत के चक्कर काटे थे हमने,ऐसे ही एक रोज तो हम हिट विकेट हुए थे, उसके इंनस्विंग जैसा गाना "क्या करते थे साजना तुम हमसे दूर रहके"पर,हमारी गेंद से फुटबॉल खेलती , कानों में हेडफोन लगाए वो और उसकी अदाओ पर मंत्रमुग्ध मैं, तभी नीचे से आवाज आई, रवि,गेंद मिली, मैंने कहा हाँ,उस दिन मेरी हालत उस मानव जैसी थी, जो जीवन के यथार्थ को खोजने इस धरा पर जन्म लेता है परंतु इस जग की मोह माया उसे स्वयं में लिप्त कर लेती है। मैं उसके पास गया और मैंने गेंद को वापस देने का इशारा किया, उसने गेंद को पैर मारते हुए मेरी और कर दिया गेंद पर उसके पैर की चोट मुझे ऐसी प्रतीत हो रही थी जैसे उसने मेरे उसके प्रति प्रेम जो कुछ वक्त पहले ही पनपा था का प्रतिकार किया हो, लेकिन हम प्रतिकार में भी प्रेम ढूंढने वाले थे और  हम उसके अब दीवाने थे। अब बस एक ही मिशन था। मोहल्ले और मेरे दिल में आयी इस नई लड़की के  विषय में जानकारी जुटाने का....... 
.... #जलज राठौर
कहानियाँ  और किस्से, 
(भाग -१) 
मई और जून के गर्मियों से भरी छुट्टियों में जब  भी शाम होती थी। तो हम निकल जाते घर से बल्ले और गेंद को उठा कर, मुझे नही पता आपके यहाँ बल्ला कैसा होता है पर हमारे यहाँ तो बल्ले पर रेशम के धागे और फेवीकोल को लगाकर उसपर ट्यूब चढ़ा देते थे और रनर साइड वाले खिलाड़ी पर कपड़े धोने वाली पटुकुन्नीयाँ होती थी। ईंटो को कमर तक एक के उपर एक रख हम सिविल इंजीनीयर समझते थे। खुद को, मोहल्ले के हर घर की छत के चक्कर काटे थे हमने,ऐसे ही एक रोज तो हम हिट विकेट हुए थे, उसके इंनस्विंग जैसा गाना "क्या करते थे साजना तुम हमसे दूर रहके"पर,हमारी गेंद से फुटबॉल खेलती , कानों में हेडफोन लगाए वो और उसकी अदाओ पर मंत्रमुग्ध मैं, तभी नीचे से आवाज आई, रवि,गेंद मिली, मैंने कहा हाँ,उस दिन मेरी हालत उस मानव जैसी थी, जो जीवन के यथार्थ को खोजने इस धरा पर जन्म लेता है परंतु इस जग की मोह माया उसे स्वयं में लिप्त कर लेती है। मैं उसके पास गया और मैंने गेंद को वापस देने का इशारा किया, उसने गेंद को पैर मारते हुए मेरी और कर दिया गेंद पर उसके पैर की चोट मुझे ऐसी प्रतीत हो रही थी जैसे उसने मेरे उसके प्रति प्रेम जो कुछ वक्त पहले ही पनपा था का प्रतिकार किया हो, लेकिन हम प्रतिकार में भी प्रेम ढूंढने वाले थे और मैं उसका अब दीवाना हो चुका था। अब बस एक ही मिशन था। मोहल्ले और मेरे दिल में आयी, इस नई लड़की के  विषय में जानकारी जुटाने का....... 
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मई और जून के गर्मियों से भरी छुट्टियों में जब  भी शाम होती थी। तो हम निकल जाते बल्ले और गेंद को उठा कर, मुझे नही पता आपके यहाँ बल्ला कैसा होता है पर हमारे यहाँ तो बल्ले पर रेशम के धागे और फेवीकोल को लगाकर उसपर ट्यूब चढ़ा देते थे और रनर साइड वाले खिलाड़ी पर कपड़े धोने वाले पटुकुन्नीयाँ होती थी। ईंटो को कमर तक एक के उपर एक रख हम सिविल इंजीनीयर समझते थे। खुद को, मोहल्ले के हर घर की छत के चक्कर काटे थे हमने,ऐसे ही एक रोज तो हम हिट विकेट हुए थे, उसके इंनस्विंग जैसा गाना "क्या करते थे साजना तुम हमसे दूर रहके"पर,हमारी गेंद से फुटबॉल खेलती , कानों में हेडफोन लगाए वो और उसकी अदाओ पर मंत्रमुग्ध मैं, तभी नीचे से आवाज आई, रवि,गेंद मिली, मैंने कहा हाँ,उस दिन मेरी हालत उस मानव जैसी थी, जो जीवन के यथार्थ को खोजने इस धरा पर जन्म लेता है परंतु इस जग की मोह माया उसे स्वयं में लिप्त कर लेती है। मैं उसके पास गया और मैंने गेंद को वापस देने का इशारा किया, उसने गेंद को पैर मारते हुए मेरी और कर दिया गेंद पर उसके पैर की चोट मुझे ऐसी प्रतीत हो रही थी जैसे उसने मेरे उसके प्रति प्रेम जो कुछ वक्त पहले ही पनपा था का प्रतिकार किया हो, लेकिन हम प्रतिकार में भी प्रेम ढूंढने वाले थे और  हम उसके अब दीवाने थे। अब बस एक ही मिशन था। मोहल्ले और मेरे दिल में आयी इस नई लड़की के  विषय में जानकारी जुटाने का....... 
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