हँसते खेलते हुए,रहे मन रंजन गाढ़ी कमाई बाप की,पड़े प्रायः कम दौड़ लगाते बहाल,कर्मी हुए जंजाल नीति ज्ञान बाप की,नैतिकता पर सवाल राजनीति की चर्चा,पर्चा पर हुआ खर्चा बाप की पुरानी निष्ठा,नोटा पर लगे मोर्चा देखो दुनियाँ मर रही,भाग रहा दो पहिया संतोष किया बाप ने,हुआ बड़ा रुपया हंसते खेलते जीते रहे,खड़ी हुई खटिया बाप भरोसे भाग्य के,बड़ी हुई बिटिया पुराना जमाना अँगा,नया जमाना नँगा बाप का मन चँगा,रख लो कठौती में गंगा उत्तरदायित्व समय आश्रित! (जब से नीचे से ऊपर पढ़ने की कला प्रस्तुत हुई है,तब से मन व्याकुल था🤓 ) सुप्रभात। हँसते खेलते हुए ज़िन्दगी गुज़ार दे। #हँसतेखेलते #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #विप्रणु #yqdidi #life #दोहा