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जुबान छोड़ यहां बेजुबानी देखी जाती है खाली कमरों म

जुबान छोड़ यहां बेजुबानी देखी जाती है
खाली कमरों में रोशनदानी देखी जाती है।।

हो अगर पराए तो दिल से दिल मिलाते हैं
हमसफर बनाने में खानदानी देखी जाती है।।

अतीत के सफर में जो काट रहे दास्तान ए जिंदगी के
गीतों और गजलों में अब रूमानी देखी जाती है।।

खुदा को पाते थे जो कभी किसी के दिल में
अब पत्थर की मूरत में यजदानी देखी जाती है।।

कब्र पर लिए पांव समेटे कौन देखेगा यहां कभी
आफताब के यावन में बस हमा- दानी देखी जाती है।

गुजिस्ता के दाग चेहरे से हटा भी ले कभी तो 
यहां गर्दानी छोड़ बस पेसानी देखी जाती है।।

पहाड़ ,नदी  मरू कौन देखता है यहां कोई
कामयाबी में अब सिर्फ मैदानी देखी जाती है।।

जुबान छोड़ यहां बेजुबानी देखी जाती है
खाली कमरों में रोशनदानी देखी जाती है।।

©Gyan Prakash Yadav #alone नजारों के बीच नजरे
जुबान छोड़ यहां बेजुबानी देखी जाती है
खाली कमरों में रोशनदानी देखी जाती है।।

हो अगर पराए तो दिल से दिल मिलाते हैं
हमसफर बनाने में खानदानी देखी जाती है।।

अतीत के सफर में जो काट रहे दास्तान ए जिंदगी के
गीतों और गजलों में अब रूमानी देखी जाती है।।

खुदा को पाते थे जो कभी किसी के दिल में
अब पत्थर की मूरत में यजदानी देखी जाती है।।

कब्र पर लिए पांव समेटे कौन देखेगा यहां कभी
आफताब के यावन में बस हमा- दानी देखी जाती है।

गुजिस्ता के दाग चेहरे से हटा भी ले कभी तो 
यहां गर्दानी छोड़ बस पेसानी देखी जाती है।।

पहाड़ ,नदी  मरू कौन देखता है यहां कोई
कामयाबी में अब सिर्फ मैदानी देखी जाती है।।

जुबान छोड़ यहां बेजुबानी देखी जाती है
खाली कमरों में रोशनदानी देखी जाती है।।

©Gyan Prakash Yadav #alone नजारों के बीच नजरे