जब थोड़ी सी धूप मुनासिब आँखों में खिल जाती है मन की अँधियारी गलियाँ कुछ रंग तुम्हारा पाती हैं और हलक़ में ख़ामुशी खुशरंग ज़ुबाँ खिल जाती घुल जाती हैं मीठी बातें सोंधी यादें उमगातीं हैं तुम्हारे हाथों की ऊष्मा प्याली थामे छू जाती है जाने कब से रूह मुन्तज़िर लौ तुममें यों खो जाती है #toyou#yqsun#yqदिनकर#yqप्रकाश#yqआभास#yqछवितृषा#yq मेहमिशा