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स्वास्थ्य मन को स्वास्थ्य तन और स्वस्थ जीवन का आधा

स्वास्थ्य मन को स्वास्थ्य तन और स्वस्थ जीवन का आधार माना जाता है व्यक्ति अपने तन का मैल साफ करने के लिए तो स्नान करता है परंतु मन का मैल साफ करने के लिए विशेष प्रयास नहीं करता इससे मन के अतिरिक्त अशुद्धि समय के साथ और बढ़ जाती है जो व्यक्ति मन में किसी के प्रति भाव रखता है राग द्वेष रखता है वही मन का मेल है उससे मुक्ति प्राप्त किए बिना व्यक्तित्व में ताजगी का संचार संभव नहीं होता बाहरी रूप से सुंदर होना ही काफी नहीं है जब तक मनुष्य भीतर से सुंदर नहीं होता तब तक उसे वास्तविक रूप से सुंदर नहीं कहा जा सकता इस सुंदरता के लिए हमें अपने भीतर अच्छे गुण का प्रवेश कर आंदोलन ईमेल को साफ करना होगा मन की शुद्धि के लिए निरंतर प्रयास करना होता है सदैव मन पर पैनी नजर रखने की जरूरत है ताकि मन की समस्याओं के अंबार को रोका जा सके जिस तरह प्रभु श्रीराम में शमा करने की शक्ति विद्यमान थी वैसे ही शक्ति प्रत्येक व्यक्ति को विकसित करनी चाहिए जो व्यक्ति दूसरों की छोटी-छोटी बातों को मन से लगा कर बैठ जाते हैं और उन्हें क्षमा नहीं करते उस जीवन में कई कठिनाइयों से दो-चार होना पड़ता है वह हमेशा बदले की भावना में जीते हैं और बदला पूरा ना होने पर अवसाद में चले जाते हैं इसलिए मन में सदैव दूसरों की क्षमा करें और आगे बढ़ने की भावना भी होनी चाहिए मन बुद्धि और कर्म यदि नहीं पहले स्वच्छता और मलिलता के हिसाब से चलते हैं क्योंकि जहां मन में स्वच्छता होती है तो बुद्धि उसकी सही निर्णय करती है और जब बुद्धि सही निर्णय करती है तो कर्म सृष्टि सुखदेव और परोपकार होता है मन की सफाई निर्मल है सद्विचार से होता है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को मन की शुद्धि के लिए बुरे विचारों के स्वयं से दूर रखना और बस में प्रयास करना चाहिए यही एक प्रक्रिया है जो कि हम मन को स्वच्छ और स्वस्थ बना सकते हैं

©Ek villain # मन की शुद्धि

#Light
स्वास्थ्य मन को स्वास्थ्य तन और स्वस्थ जीवन का आधार माना जाता है व्यक्ति अपने तन का मैल साफ करने के लिए तो स्नान करता है परंतु मन का मैल साफ करने के लिए विशेष प्रयास नहीं करता इससे मन के अतिरिक्त अशुद्धि समय के साथ और बढ़ जाती है जो व्यक्ति मन में किसी के प्रति भाव रखता है राग द्वेष रखता है वही मन का मेल है उससे मुक्ति प्राप्त किए बिना व्यक्तित्व में ताजगी का संचार संभव नहीं होता बाहरी रूप से सुंदर होना ही काफी नहीं है जब तक मनुष्य भीतर से सुंदर नहीं होता तब तक उसे वास्तविक रूप से सुंदर नहीं कहा जा सकता इस सुंदरता के लिए हमें अपने भीतर अच्छे गुण का प्रवेश कर आंदोलन ईमेल को साफ करना होगा मन की शुद्धि के लिए निरंतर प्रयास करना होता है सदैव मन पर पैनी नजर रखने की जरूरत है ताकि मन की समस्याओं के अंबार को रोका जा सके जिस तरह प्रभु श्रीराम में शमा करने की शक्ति विद्यमान थी वैसे ही शक्ति प्रत्येक व्यक्ति को विकसित करनी चाहिए जो व्यक्ति दूसरों की छोटी-छोटी बातों को मन से लगा कर बैठ जाते हैं और उन्हें क्षमा नहीं करते उस जीवन में कई कठिनाइयों से दो-चार होना पड़ता है वह हमेशा बदले की भावना में जीते हैं और बदला पूरा ना होने पर अवसाद में चले जाते हैं इसलिए मन में सदैव दूसरों की क्षमा करें और आगे बढ़ने की भावना भी होनी चाहिए मन बुद्धि और कर्म यदि नहीं पहले स्वच्छता और मलिलता के हिसाब से चलते हैं क्योंकि जहां मन में स्वच्छता होती है तो बुद्धि उसकी सही निर्णय करती है और जब बुद्धि सही निर्णय करती है तो कर्म सृष्टि सुखदेव और परोपकार होता है मन की सफाई निर्मल है सद्विचार से होता है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को मन की शुद्धि के लिए बुरे विचारों के स्वयं से दूर रखना और बस में प्रयास करना चाहिए यही एक प्रक्रिया है जो कि हम मन को स्वच्छ और स्वस्थ बना सकते हैं

©Ek villain # मन की शुद्धि

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