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ज्ञान अज्ञान ज्ञान की शक्ति से ही मनुष्य अनंत समर्

ज्ञान अज्ञान ज्ञान की शक्ति से ही मनुष्य अनंत समर्थ एवान है जिसके पास जितना अधिक ज्ञान है वह इतना ही अधिक शक्ति संपन्न है सच्चा ज्ञान व्यक्ति को विनम्र और विराट व्यक्तित्व वाला बनाता है इसके विपरीत अज्ञानता हठधर्मिता की जननी है अज्ञानी व्यक्ति आत्म केंद्रित और शूद्र सोच वाला होता है अज्ञान मन की रात्रि है लेकिन वह रात्रि जिसमें न तो चांद है और ना तारे अज्ञानता जीवन की वह अंधकार पूर्ण स्थिति है जिसमें जीवन की राह दिखाई नहीं पड़ती वह गहन रात्रि में हम होने वाले चांद तारों का धुंधला प्रकाश जी उपस्थित नहीं रहता इस गहन अंधकार के बीच सही राह को देखना और उस पर जाना बहुत ही कठिन है अंधकार को अब ज्ञान का प्रतीक माना गया है इसके विपरीत प्रकाश जिससे प्रकाश में सत्य उदगीठ होता है वैसे ही ज्ञान के उदय से वास्तविक आ वास्तविक सत्य आ सकते तो इससे और प्रैसे के बीच अंतर स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है वास्तव में ज्ञान की प्राप्ति के लिए स्वर प्रथम सक्रियता का परित्याग करना पड़ता है ज्ञान के ग्रहण के लिए मस्ती को खोलना पड़ता है एक संकुचित मस्ती के साथ कम कभी सच्चे ज्ञान की प्राप्ति नहीं कर सकते भिन्न-भिन्न विचारों के बीच व्यक्ति को खुले ग्रहण शील मस्तिक से सामने व आत्मिक दृष्टिकोण अपनाते हुए इन सब में से सारा तत्व को ले लेना पड़ता है दिमाग पैराशूट के समान है यह तो कभी काम करता है जब खुला हो एक खुला विचारशील चिंता पूर्ण मस्तिक ही वास्तविक ज्ञान प्राप्ति का साधन है अन्यथा की स्थिति में बंद दिमाग के साथ यह अज्ञानता आनंद की वजह बन जाती है पर यह मात्र छलावा होता है ज्ञान की साधना के लिए हमें कुछ अलग तरह से सोचना और करना पड़ता है वास्तव में ज्ञान के प्रति के लिए हमें अपनी अज्ञानता का साहस होना आवश्यक है यह ज्ञान प्राप्ति की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है

©Ek villain # ज्ञान अज्ञान की उर्जा

#smoke
ज्ञान अज्ञान ज्ञान की शक्ति से ही मनुष्य अनंत समर्थ एवान है जिसके पास जितना अधिक ज्ञान है वह इतना ही अधिक शक्ति संपन्न है सच्चा ज्ञान व्यक्ति को विनम्र और विराट व्यक्तित्व वाला बनाता है इसके विपरीत अज्ञानता हठधर्मिता की जननी है अज्ञानी व्यक्ति आत्म केंद्रित और शूद्र सोच वाला होता है अज्ञान मन की रात्रि है लेकिन वह रात्रि जिसमें न तो चांद है और ना तारे अज्ञानता जीवन की वह अंधकार पूर्ण स्थिति है जिसमें जीवन की राह दिखाई नहीं पड़ती वह गहन रात्रि में हम होने वाले चांद तारों का धुंधला प्रकाश जी उपस्थित नहीं रहता इस गहन अंधकार के बीच सही राह को देखना और उस पर जाना बहुत ही कठिन है अंधकार को अब ज्ञान का प्रतीक माना गया है इसके विपरीत प्रकाश जिससे प्रकाश में सत्य उदगीठ होता है वैसे ही ज्ञान के उदय से वास्तविक आ वास्तविक सत्य आ सकते तो इससे और प्रैसे के बीच अंतर स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है वास्तव में ज्ञान की प्राप्ति के लिए स्वर प्रथम सक्रियता का परित्याग करना पड़ता है ज्ञान के ग्रहण के लिए मस्ती को खोलना पड़ता है एक संकुचित मस्ती के साथ कम कभी सच्चे ज्ञान की प्राप्ति नहीं कर सकते भिन्न-भिन्न विचारों के बीच व्यक्ति को खुले ग्रहण शील मस्तिक से सामने व आत्मिक दृष्टिकोण अपनाते हुए इन सब में से सारा तत्व को ले लेना पड़ता है दिमाग पैराशूट के समान है यह तो कभी काम करता है जब खुला हो एक खुला विचारशील चिंता पूर्ण मस्तिक ही वास्तविक ज्ञान प्राप्ति का साधन है अन्यथा की स्थिति में बंद दिमाग के साथ यह अज्ञानता आनंद की वजह बन जाती है पर यह मात्र छलावा होता है ज्ञान की साधना के लिए हमें कुछ अलग तरह से सोचना और करना पड़ता है वास्तव में ज्ञान के प्रति के लिए हमें अपनी अज्ञानता का साहस होना आवश्यक है यह ज्ञान प्राप्ति की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है

©Ek villain # ज्ञान अज्ञान की उर्जा

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