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क़लम उठाया काग़ज पर, चित्र अरमानों के बना दिया, अपाह

क़लम उठाया काग़ज पर,
चित्र अरमानों के बना दिया,
अपाहिज़ था,जो सोच से अपनी,
पँख लगाया और उसे भी,
आसमां में उड़ा दिया।
क़ाबिलियत थी जँहा को मुट्ठी में करने की,
जो कुछ न कर सका,
तो लिए चंद आलू और,
गुपचुप का ठेला लगा लिया। @engineers day
क़लम उठाया काग़ज पर,
चित्र अरमानों के बना दिया,
अपाहिज़ था,जो सोच से अपनी,
पँख लगाया और उसे भी,
आसमां में उड़ा दिया।
क़ाबिलियत थी जँहा को मुट्ठी में करने की,
जो कुछ न कर सका,
तो लिए चंद आलू और,
गुपचुप का ठेला लगा लिया। @engineers day

@engineers day