मजहबो की जातियां..! इस जमीन पे लकीरे क्यों है, हर घर में दीवारें क्यों है, ना कोई झांक सके है, लगें दरवाजो में ताले क्यों हैं । नफरत भरी इंसानो में, इंसानो के लिये, मजहब ही तो बांट रहा इंसानो को है, इंसान नहीं है मजहबो के लीये, मजहब बने है इंसानो के लिये । बनी है क्यों ये जातियों की दीवारें, जातियों ने तोड़ दीये सारे रिश्ते हमारें, खून के रंग भी एक है हमारे, फिर भी ऊंच नीच के तराजू तौलते है सारे । बिखरे इनसे हम सबके घर है, फिर क्यों हम हमारें ही खून के प्यासे, युग युग बीते हमको लढते लढते, कत्ल हुए है हमसे ही हमारे । जाती मजहब ही तो दुश्मन है सारे, तोड़ दो ये जाती मजहबो की दीवारें, पहचान बने इंसानो की इंसानियत से, लौटेंगी खुशहाली फिर इस जमाने मे । ...✍🏻रूपेश थुल मजहबो की जातियां...! #rupesh_thool #nojoto #my_story