एक कविता अपने जवान शहीदों के लिए।। कृपा करके पूरा पढ़े... ।।एक सैनिक के शब्द और परिवार।। प्राण न्योछावार कर के हम जा रहे हैं आज जश्न-ए-आजादी तुम बानाओ दोस्तो हम रहे य़ा ना रहे इस देश मे इस देश की मिट्टी को सोना बानाओ दोस्तो माँ की ममता को ताकता छोड़ आया हू संगिनी की शब्दों को गले मे ही छोड आया हू कल की बेटी को मुस्कुराता छोड आया हू मेरा कफ़न तिरंगा ही होगा ये " मै माँ से बोल आया हू कल हो य़ा ना हो इसलिये एक माँ के लिए,एक माँ से बोल आया हू भारत माँ की सरहद हैं मेरा ठिकाना कहकर एक माँ को बिलखता छोड आया हू माँ-बापू का ध्यान रखना....... कुछ शब्द अटक से गए हैं बेटे की फिक्र से सहम से गए है फ़ोन की कपकपाती आवाज गूंज रही है माँ....... ध्यान रखना,एक माँ के लिए हम एक माँ को छोड गए है करके स्तब्ध आवाज फ़ोन की कपकंपा रही है कुछ शब्द रुके...... कुछ कांप रहे है माँ संभल जाओ सुनने को वतन ए तिरंगा कफ़न मे लपेटे आ रहे हैं सुनके पूरा घर बिलख पडा है आंसमा भी दहाड के रो पडा है हवा भी रुक गयी है की एक कर्मवीर फिर सबको छोड कर चल पडा है देखकर तेरा पार्थिव शरीर मेरा कलम भी रो पडा है आँखों मे लेकर आंसू फिर एक बाप हंस पडा है एक बेटे के जाने के बाद दुसरा बेटा "भारत माँ " तेरे लिए खडा है कहने को ये शब्द एक बाप अपनी करुणा से खूब लडा हैं ..जय हिन्द.. Written by:- abhishek dhaurya एक कविता अपने जवान शहीदों के लिए।। कृपा करके पूरा पढ़े... ।।एक सैनिक के शब्द और परिवार।। प्राण न्योछावार कर के हम जा रहे हैं आज जश्न-ए-आजादी तुम बानाओ दोस्तो हम रहे य़ा ना रहे इस देश मे