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उत्पाती के उत्पात से दिन ओ दिन धरती बैठी रोय, आधुन

उत्पाती के उत्पात से दिन ओ दिन धरती बैठी रोय,
आधुनिकता की दौड़ में कीन्हा कितना मैला मोय। वायु प्रदूषित 
जल प्रदूषित 
है नीरव भी
हो रहा  प्रदूषित ,
मानव तेरी करतूत से 
हुई ये सारी 
बहुधा ही प्रदूषित।
लोलुपता में
उत्पाती के उत्पात से दिन ओ दिन धरती बैठी रोय,
आधुनिकता की दौड़ में कीन्हा कितना मैला मोय। वायु प्रदूषित 
जल प्रदूषित 
है नीरव भी
हो रहा  प्रदूषित ,
मानव तेरी करतूत से 
हुई ये सारी 
बहुधा ही प्रदूषित।
लोलुपता में