एे मुसाफिर थम जा तू , ठहर जा तू | कुछ दिन ही सही घर की चारदीवारों से घिर जा तू | तूफां के बादल भी छंट जाएंगे, हौसला मत छोड़ना | ये तो प्रतिशोध है प्रकृति का, मत कर विरोध तू | एे मुसाफिर थम जा तू , ठहर जा तू | #लॉकडाउन