*जिंदगी और मोहब्बत* कस्में , वफ़ा , मोहब्बत सब सँभाल कर रखा है मैंने तुम मिलो तो सही , हर लम्हा बेहिसाब रखा है मैंने और मेरी मोहब्बत को बाजारू मत समझना तुम जमाने की अच्छी नजरो से भी छुपा कर रखा है मैंने आंकी कम नींदों के कुछ ख्वाबो में तुम्हे रखा है मैंने दूर से क्या जानो कितने ख्यालो में तुम्हे रखा है मैंने एक नज्म,चंद पन्नो और कुछ किताबो में रखा है मैंने तुम आओ तो,बड़े नाजो से संभाले दिल रखा है मैंने वक्त के दिये हर ज़ख्म को रफू कर के रखा है मैने लम्बे सफर की उम्मीद में,एक सफर बचा कर रखा है मैने ©DEV KUMAR MAKWANA मोहब्बत भी जरूरी है।