ए दोस्त अब वो तू ही हैं हसाती हैं तो कभी रूलाती भी है मगर समझाती है तो फटकार लगाती हैं करती हैं मेरी शिकायते रोज़ मेरे अपनो से पर लगती हैं वो प्यारी मुझे मेरे अपनो से उसका लड़ना तो मानों रोज़ की आदत हुई मगर शिकायत तो उसे हमीं से ह उसका रूठ ना तो हमारा मनाना मानो लगा ही रहता हैं.. मगर ए दोस्त अब वो तू ही है..। ©Reena Tanwar वो दोस्त अब तू ही है..