फिर से बागबां,ताराज,महशर की तख्य्यूल कर, कुछ बुराइयां, रुसवाईयां आम-सी होंगी। लर्जिश तेरे बातों में गर पैदा हो जाये, टूट कर जिस्म जान फिर से जुड़ जाये।। (बागबां-माली, ताराज-विनाश,महशर-प्रलय, तख्य्युल-कल्पना,लर्जिश- कम्पन) -सबील अहमद #तन्हा_परिन्दा #shayari