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बिन कहे भी बहुत कुछ कह जाते हैं लेकिन यह हवा के रू

बिन कहे भी बहुत कुछ कह जाते हैं लेकिन यह हवा के रूप में हमें जीवन दे जाते हैं बिन कहे सब कुछ कह जाते हैं! अपने स्वार्थ के लिए ना जाने कितने हिस्सों में हमने पेड़ पौधों को काट डाला है !फर्नीचर बनाने में हमने न जाने कितने पेड़ों को मार डाला है! काश कोई इनके दुख दर्द को समझ पाता फिर से कोई "चिपको आंदोलन" चलाकर इन्हें नया जीवन दे जाता !बिन कहे यह हमको खुशियां दे जाते हैं बदले में हम इनको अक्सर दुख दे जाते हैं..

©Dinesh Kashyap
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