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सतपथ पर काँटे भी मिलते , मिलते हैं अवरोध ,

सतपथ  पर  काँटे  भी  मिलते ,
मिलते   हैं   अवरोध ,
नहीं कुटिल को,पर सज्जन को 
पर - पीड़ा  का बोध ,
रक्तिम    अधरों    में    सुंदरता 
कैद  नहीं   होती  है ,
वीरों    का    भूषण    विनम्रता ,
खल का भूषण क्रोध !

अशान्त (पटना) poem
सतपथ  पर  काँटे  भी  मिलते ,
मिलते   हैं   अवरोध ,
नहीं कुटिल को,पर सज्जन को 
पर - पीड़ा  का बोध ,
रक्तिम    अधरों    में    सुंदरता 
कैद  नहीं   होती  है ,
वीरों    का    भूषण    विनम्रता ,
खल का भूषण क्रोध !

अशान्त (पटना) poem