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हृदय कि तपिश,गहरी हो चलती है। खामोशियाँ भी शोर कर,

हृदय कि तपिश,गहरी हो
चलती है।
खामोशियाँ भी शोर कर,
रो पड़ती है।
उम्मिदों कि धरातल पर,
बोयें थे जो प्रेम का बीज।
बन नागफनी वो आज,
पल पल मुझको डसती है।।
Shiv k Shriwas.. #जब प्यार से उम्मीद टुटती है##
हृदय कि तपिश,गहरी हो
चलती है।
खामोशियाँ भी शोर कर,
रो पड़ती है।
उम्मिदों कि धरातल पर,
बोयें थे जो प्रेम का बीज।
बन नागफनी वो आज,
पल पल मुझको डसती है।।
Shiv k Shriwas.. #जब प्यार से उम्मीद टुटती है##

#जब प्यार से उम्मीद टुटती है##