तू नज़रें मिलाए या नज़रें चुराए, क्या फ़र्क पड़ता है? तुम मुझको बुलाये या मुझको भुलाए, क्या फ़र्क पड़ता है? तू बिन रुके बात करे या बिलकुल चुप हो जाए, क्या फ़र्क पड़ता है? तू मेरे साथ हंसती रहे या किसी और संग मुस्कुराए, क्या फ़र्क पड़ता है? मैं तुझ से हर हाल में उतना ही प्यार करता हूं और करता रहूंगा, अब मैं जीयूं या मेरी जान जाए... क्या फ़र्क पड़ता है ? kya hi farq padhta hai ???