विधि से कवि सब विधि बड़े जह मैं संशय नाहि । सठ् रस विधि की सृष्टि में नव रस कविता माहि ।। ,,,,,,,,तुलसीदास श्रीरामचरितमानस विधि से कवि सब विधि बड़े जह ........