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तू अब उठ ना हो यू निराश लगा एक ज़ोर जरा हा हा तू अ

तू अब उठ ना हो यू निराश
लगा एक ज़ोर जरा

हा हा तू अभी से ही क्यो होता है निराश 

अरे तूने सुना नही क्या तू भूल गया अपनी शक्ति का अहसास

तू मानव है तू जब जोर 
 लगाता है,

 पर्वत के भी पाव उखड़ जाते है, काँपती है थर थर धरा 

तू ना हो अभी से निराश ...
चल उठ लगा एक जोर , दिखा दे अपनी शक्ति का अहसास ...

©Zunaid
  #प्रेरकदायी_कविता
#प्रेरणादायक