सबसे बड़ी कमी यही रही मुझमें अन्दर जैसी थी बाहर भी वैसी ही रही मन में जो आया जब वैसे ही कह दिया ज़ुबान को अपनी धूर्तता का फ़रेब न दिया समझती रही मैं समझती हूँ सबको जिसने गढ़ दिये फ़साने उसे न समझ सकी मीठे बोलों में लगातार उलझती रही चासनी के तारों में फंसने से बच न सकी तू जैसी है बस वैसी ही रहेगी 'मुनेश' अपनी नज़रों में तू ख़ुद को कभी गिरा नहीं सकती..! Muनेश..Meरी✍️🌿 #yqdidi #yqhindi #yqhindibestquote #yqthoughts