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सबसे बड़ी कमी यही रही मुझमें अन्दर जैसी थी बाहर भी

सबसे बड़ी कमी यही रही मुझमें
अन्दर जैसी थी बाहर भी वैसी ही रही

मन में जो आया जब वैसे ही कह दिया
ज़ुबान को अपनी धूर्तता का फ़रेब न दिया

समझती रही मैं समझती हूँ सबको
जिसने गढ़ दिये फ़साने उसे न समझ सकी

मीठे बोलों में लगातार उलझती रही
चासनी के तारों में फंसने से बच न सकी

तू जैसी है बस वैसी ही रहेगी 'मुनेश'
अपनी नज़रों में तू ख़ुद को कभी गिरा नहीं सकती..!
Muनेश..Meरी✍️🌿

 #yqdidi #yqhindi #yqhindibestquote #yqthoughts
सबसे बड़ी कमी यही रही मुझमें
अन्दर जैसी थी बाहर भी वैसी ही रही

मन में जो आया जब वैसे ही कह दिया
ज़ुबान को अपनी धूर्तता का फ़रेब न दिया

समझती रही मैं समझती हूँ सबको
जिसने गढ़ दिये फ़साने उसे न समझ सकी

मीठे बोलों में लगातार उलझती रही
चासनी के तारों में फंसने से बच न सकी

तू जैसी है बस वैसी ही रहेगी 'मुनेश'
अपनी नज़रों में तू ख़ुद को कभी गिरा नहीं सकती..!
Muनेश..Meरी✍️🌿

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