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यादों की महफिल यादों की महफिल कुछ इस तरह बुलाती ह

यादों की महफिल

यादों की महफिल कुछ इस तरह बुलाती है।
ना जाने क्यों हर बार बेचैन सा कर जाती है।

क्यों मुझे हर बार उसी महफिल में ख्वाबों के जरिए बुलाती है।

फिर वही गलियां फिर वही आंगन ना जाने क्यों
 हर बार उसी दहलीज पर खड़ा कर जाती है।

नींदों  में सुकून देकर पूरा दिन रुलाती है।

फिर उसी गोद में सर रखने को जी चाहता है।
और नानी मां की कहानियों को कान फिर सुनना चाहते हैं।

पर ना जाने क्यों सब कुछ छूट गया।
बीते वक्त की यादों में कहीं मानो बचपन रूठ गया।

पर ना जाने दिल के किस कोने में एक याद बाकी है।
जो हर बार सब याद दिला जाती है।

यादों की महफिल में ख्वाबों के जरिए ले जाती है।

              By-Nandini

©Nandini
  #नानी मां तू ही मेरी कहानी है।
nandini9591

Nandini

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#नानी मां तू ही मेरी कहानी है। #Poetry

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