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मैं जब भी तन्हा हुआ, तेरा साथ पाकर ही मुझको सुकूं

मैं जब भी तन्हा हुआ, तेरा साथ पाकर ही
मुझको सुकूं मिला
एक दर्द से राहत मिली, और सुख का
एहसास मिला,

मैं जब भी तन्हा हुआ,तुझे अपने करीब पाया

मेरी बैचेनियों का मर्ज है, अहसास तेरा
मेरे दर्द का इलाज है,साथ तेरा 
वो दिन, जो कभी गुजरे, तेरे  बिना
तो, जिंदगी डूबी रहें, जिंदा लाश की तरह,

मैं जब भी जिंदा रहा ,बस तेरा साथ पाकर 
ही ,जीता रहा

खामोशी कब मेरी जुबां बनी, मेरे लबों पर
बस तेरा ही नाम रहा,
दिल दडकता रहा, तेरे नाम से सांसों का
तो सिर्फ़ बस नाम रहा,

मैं जब भी तन्हा हुआ, तेरा साथ पाकर ही

©पथिक..
  #लाइफलाइन #