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फिर भी हम डटे हुये थे. सघंर्षो से लडे हुये थे. मेह

फिर भी हम डटे हुये थे.
सघंर्षो से लडे हुये थे.
मेहनत से न डरे हुये थे.
मजिंल कि ओर बडे हुये थे.
फिर
अपने पैरों पर खडे हुये थे.
चेहरे पर मुस्कान थी.
और
अपने हौसले के कधौं मे फिर से जान थी.
(अभय❤️)

©Abhay sharma
  #हौसलानहींछोड़ा