विशाल कोई जीत या शिकस्त में हैं, आज़ाद परिंदे आज खुद गिरफ्त में हैं, आसमां की हवा कुछ जहरीली सी है, जानकर पिंजरों की सरपरस्त में है, कैसी आज़ादी और किससे जश्न जीत का, यहां इंसा घरोंदे में, इंसां ही गस्त में हैं, ©deepshi bhadauria #quarntine #covidindia