यायावर सा भटकता हूँ ना बेघर हूँ ना घर में हूँ माँ छोड़ गयी जबसे मैं रिश्तों के खंडहर में हूँ बहुत पहचाना सा लगता है हर चेहरा यहाँ का गुमनाम सा फिर रहा मैं अपने ही शहर में हूँ वफ़ा का हश्र ग़र चाहो कभी तुम मुझको पढ़ लेना बहुत चर्चा में रहता हूँ मैं इन दिनों खबर में हूँ मैं सच हूँ मेरा फैलाव समंदर है बहता रहूँगा मैं बहुत आसान हूँ अगर समझो तो मुख़्तसर में हूँ #अभिशप्त_वरदान #यायावर #yqbaba #yqdidi