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हमनवा हमनशीं हमदम न किसी हमकदम की ज़रूरत है। ज़िन्द

हमनवा हमनशीं हमदम
न किसी हमकदम की ज़रूरत है।

ज़िन्दगी कट रही है मेरी
तन्हाई के सहारे,
मुझे अब किसी रहबर पारसा
न किसी सनम की ज़रूरत है।

सर-ता-क़दम ओढ़े हुआ
है खार की चादर हिलाल,
रंग-ओ-बू गुल
न किसी चमन की ज़रूरत है।

~hilal hathravi


.

©~Hilal. Follow Me for best shayri of your life #dilkibaat #Humkadam, #Sanam #Chaman
हमनवा हमनशीं हमदम
न किसी हमकदम की ज़रूरत है।

ज़िन्दगी कट रही है मेरी
तन्हाई के सहारे,
मुझे अब किसी रहबर पारसा
न किसी सनम की ज़रूरत है।

सर-ता-क़दम ओढ़े हुआ
है खार की चादर हिलाल,
रंग-ओ-बू गुल
न किसी चमन की ज़रूरत है।

~hilal hathravi


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©~Hilal. Follow Me for best shayri of your life #dilkibaat #Humkadam, #Sanam #Chaman