जुगनू और तारें वो जुगनू है मेरा जो आता है दो पल के लिए। मैं आसमान मे तारा बनके छूपके से उसे देखा करती हूँ।। वो जुगनू जब मेरा जो आवाजें करता। मैं आसमान मे फिर तारा बनकर, चुपचाप उसे सुना करती हूँ।। वो जुगनू जब मेरा चमकता है। मैं आसमान मे फिर तारा बन के, देख उसे टिमटिमायां करती हूँ।। वो जुगनू जब मेरा कही छूप जाए अगर। मैं भी टूटता तारा बनकर, उसके लिए टूट जाया करती हूँ।। #jugnu Or tare# poetry #for you # Poetry Stage My_Words✍✍ Sid Srivastav ⏺️