अजीब ही होते हैं, हम बेटों के अफसाने। दर्द में भी नहीं होते, आंखों में आंसू लाने।। जिन कंधों पर बैठे, वे ही कंधे बनना होता है उनकी कमजोरी में उनकी, ताकत बनना होता है पिता की आशाओं के, बनते हैं तराने अजीब ही होते हैं, हम बेटों के अफसाने। जिनकी दुआओं से बढ़े, उनकी बनना होता दवा तपन मिले नहीं उनको, बनना होता शीतल हवा मां के अनंत उपकारों के, कुछ तो कर्ज चुकाने अजीब ही होते हैं, हम बेटों के अफसाने। अपेक्षाएं होती हैं ज्यादा, दब जाते इनके तले इनको पूर्ण करने में ही, दिन-रात चलते चले पर हिम्मत को हम कभी, नहीं देते हैं जाने अजीब ही होते हैं, हम बेटों के अफसाने। दर्द में भी नहीं होते, आंखों में आंसू लाने।। बेटे