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बचपन की यारी अपनी कलम वो वक्त बहुत अलग था। जब हर

बचपन की यारी  अपनी कलम 
वो वक्त बहुत अलग था।
जब हर कोई नासमझ था।
हर दोस्त ख़ुशनसीब था।
क्योकि हर पल हसींन था।
ना लङ कर रूठ जानें का गम था।
क्योकि बचपन में बहुत दम था।
कान्ता कुमावत

©kanta kumawat अपनी कलम 

#BachpanKiYaari
बचपन की यारी  अपनी कलम 
वो वक्त बहुत अलग था।
जब हर कोई नासमझ था।
हर दोस्त ख़ुशनसीब था।
क्योकि हर पल हसींन था।
ना लङ कर रूठ जानें का गम था।
क्योकि बचपन में बहुत दम था।
कान्ता कुमावत

©kanta kumawat अपनी कलम 

#BachpanKiYaari

अपनी कलम #BachpanKiYaari