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वह रे इंसान आज अपनी घरवाली को कितना भला बुरा कहते

वह रे इंसान आज अपनी घरवाली को कितना भला बुरा कहते हो, ना जाने कितनी गालीयां और जली कटी बातें सुनाते हो ।।

ये क्यों भूल जाते हो तुम ,  बेटी तुम्हरी भी कल किसी की घरवाली बनेगी ,खुदा न करे सुनने पड़े उसे भी इतने बातें और गालीयां।।

खुद को माफ़ नही कर पाओगे उस दिन जब याद आये गी तुम्हे वो दिन , जब तुमने भी किसी की बेटी के साथ ऐसा ही कुछ किया था ।। एक सच्चाई लिखने की कोसिस ।।
वह रे इंसान आज अपनी घरवाली को कितना भला बुरा कहते हो, ना जाने कितनी गालीयां और जली कटी बातें सुनाते हो ।।

ये क्यों भूल जाते हो तुम ,  बेटी तुम्हरी भी कल किसी की घरवाली बनेगी ,खुदा न करे सुनने पड़े उसे भी इतने बातें और गालीयां।।

खुद को माफ़ नही कर पाओगे उस दिन जब याद आये गी तुम्हे वो दिन , जब तुमने भी किसी की बेटी के साथ ऐसा ही कुछ किया था ।। एक सच्चाई लिखने की कोसिस ।।

एक सच्चाई लिखने की कोसिस ।। #Poetry