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घर लौट आता हूँ सपने सुबह बुनकर फि़र घर से निकल जात

घर लौट आता हूँ
सपने सुबह बुनकर
फि़र घर से निकल जाता हूँ
तलाशता रहता हूँ दिनभर तुम्हें, परछाँई को
तुम नज़र तो आती नहीं कहकर,
अपने प्यार को कोसते
फि़र से घर लौट आता हूँ। शाम होते ही
एहसास की महक से भर जाता है मन।
#शामहोतेही #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
घर लौट आता हूँ
सपने सुबह बुनकर
फि़र घर से निकल जाता हूँ
तलाशता रहता हूँ दिनभर तुम्हें, परछाँई को
तुम नज़र तो आती नहीं कहकर,
अपने प्यार को कोसते
फि़र से घर लौट आता हूँ। शाम होते ही
एहसास की महक से भर जाता है मन।
#शामहोतेही #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
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himanshub7999

Himanshu B

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