घर लौट आता हूँ सपने सुबह बुनकर फि़र घर से निकल जाता हूँ तलाशता रहता हूँ दिनभर तुम्हें, परछाँई को तुम नज़र तो आती नहीं कहकर, अपने प्यार को कोसते फि़र से घर लौट आता हूँ। शाम होते ही एहसास की महक से भर जाता है मन। #शामहोतेही #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi